उत्तराखंड सरकार द्वारा कैम्पा फंड के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार द्वारा आईफोन और अन्य सामान खरीदने के लिए कंपनसेटरी डिफोरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग ऑथॉरिटी के कथित दुरुपयोग से संबंधित मामले का सुप्रीम कोर्ट ने निपटारा कर दिया है. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव की ओर से दी गई दलील को सुनने के बाद मुकदमे को बंद करने का आदेश दिया है. मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि गतिविधियों पर खर्च की गई राशि कुल निधि 753.56 करोड़ रुपये फंड्स में से केवल 1.8 प्रतिशत राशि का इस्तेमाल गैर-स्वीकृत गतिविधियों में किया गया था.
राज्य सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसी कोई विचलन नहीं होगी और केंद्र द्वारा ब्याज दर अधिसूचित होने पर उपयोग की गई राशि को ब्याज सहित वापस किया जाएगा. साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की गई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कार्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण के मामले में भारतीय वन.सेवा और वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच की धीमी गति पर असंतोष व्यक्त किया है. कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकार ने वन रेंजर्स के खिलाफ तो कार्रवाई की है, लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच धीमी गति से चल रही है.कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सभी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही तीन महीने के भीतर पूरा करने को कहा है. कैग की एक रिपोर्ट के अनुसार वनरोपण के लिए निर्धारित कैम्पा फंड का कथित तौर पर आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज की खरीद और इमारतों के जीर्णोद्धार सहित अस्वीकार्य खर्चो के लिए इस्तेमाल किया गया. कैग रिपोर्ट में 2019-2022 तक कैम्पा फंड के दुरुपयोग का जिक्र है. इसमें कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई है. कैग रिपोर्ट के मुताबिक इस फंड का इस्तेमाल कोर्ट केस लड़ने और निजी खर्चो के अलावा आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और ऑफिस रेनोवेशन के लिए भी किया गया.